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<poem>
परिचय का विस्तार न करना ।
लक्ष्मण रेखा पार करना ।

जहाँ ज़रूरत केवल दो की,
वहाँ कभी तुम चार न करना ।

मान बड़ों-सा खोज रहे तो,
बच्चों-सा व्यवहार न करना ।

घर को केवल घर रहने दो,
आँगन को बाज़ार न करना ।

धन-दौलत या निज मकसद को,
रिश्तों का आधार न करना ।
</poem>
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