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|रचनाकार=राकेश कुमार
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
परिचय का विस्तार न करना ।
लक्ष्मण रेखा पार करना ।
जहाँ ज़रूरत केवल दो की,
वहाँ कभी तुम चार न करना ।
मान बड़ों-सा खोज रहे तो,
बच्चों-सा व्यवहार न करना ।
घर को केवल घर रहने दो,
आँगन को बाज़ार न करना ।
धन-दौलत या निज मकसद को,
रिश्तों का आधार न करना ।
</poem>
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परिचय का विस्तार न करना ।
लक्ष्मण रेखा पार करना ।
जहाँ ज़रूरत केवल दो की,
वहाँ कभी तुम चार न करना ।
मान बड़ों-सा खोज रहे तो,
बच्चों-सा व्यवहार न करना ।
घर को केवल घर रहने दो,
आँगन को बाज़ार न करना ।
धन-दौलत या निज मकसद को,
रिश्तों का आधार न करना ।
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