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|रचनाकार=नाज़िम हिक़मत
|अनुवादक=मनोज पटेल
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<poem>
नीचे झुकता हूँ मैं, देखता हूँ धरती
घास,
कीड़े-मकोड़े,
नीले फूलों वाले नन्हे पौधे
तुम वसन्त ऋतु की तरह हो, मेरी प्रिया,
तुम्हें देख रहा हूँ मैं

पीठ के बल लेटता हूँ, देखता हूँ आकाश
एक पेड़ की डालियाँ,
उड़ते हुए सारस,
खुली आँखों से एक स्वप्न,
तुम वसन्त के आकाश की तरह हो, मेरी प्रिया
तुम्हें ही देखता हूँ मैं

रात में जला देता हूँ एक अलाव, स्पर्श करता हूँ आग
पानी,
वस्त्र,
रजत,
तुम सितारों के तले जलती एक आग की तरह हो, मेरी प्रिया
तुम्हें स्पर्श करता हूँ मैं

जाता हूँ जनता के बीच, प्यार करता हूँ जनता को
काम,
विचार,
संघर्ष,
तुम एक शख़्स हो मेरे संघर्ष में शामिल
तुम्हें प्यार करता हूँ मैं ।

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल'''
</poem>
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