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[[Category:रूसी भाषा]]
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{{KKRachna
|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
}}
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>
दुर्दिन है आज
बन्द है
टिड्डों का समूहगान
अँटा पड़ा है
उदास चट्टानी दालान
कभी गूँजे हैं
छोड़े गए तीरों के स्वर
तो कभी सुन पड़े
लटके हुए कौओं की चीखचीख़मैं देखँ देखूँ सपना ख़राब-सा
क्षण के पीछे उड़ा जा रहा क्षण
समय दे रहा है कोई सीख
तुम आओ
आकर बंधन बन्धन को दूर करो
पृथ्वी के इस पिंजड़े को काटो
माया को चूर करो
कोई प्रचण्ड तराना गूँजे फिर
सब रहस्यों को दूर करो
ओ कठोर आत्मा काली !
लटकी चुपचाप तू डोल रही है
भाग्य बन्द-द्वार खटखटाए ज़ोर से
पर तू न खोल रही है
'''प्रसिद्ध रूसी कवि मयाकोव्स्की की प्रेमिका लील्या ब्रीक के अनुसार मंदेलश्ताम की यह कविता
मायकोव्स्की की प्रिय कविता थी ।'''
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''लीजिए अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Осип Мандельштам
Сегодня дурной...