भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शमशेर बहादुर सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़माने भर का कोई इस क़दर अपना न हो जाए