भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़ |अनुवादक=साबिर सिद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=साबिर सिद्दीक़ी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गीत होते हैं पावन तो बस, तीन ही,
जिनसे खुलते हैं लोगों के दुख-सुख यहाँ ।
सबसे पाकीज़ा उनमें से वह गीत है,
पालने पर जिसे गाया करती है माँ ।
दूसरा गीत भी गीत माँ ही का है,
बर्फ़ से गाल पर फेरकर हाथ जो,
अपने बेटे की मय्यत पे गाती है जो
तीसरा गीत चाहे कोई गीत हो ।
'''रूसी भाषा से अनुवाद : साबिर सिद्दीक़ी'''
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हमज़ातफ़
|अनुवादक=साबिर सिद्दीक़ी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गीत होते हैं पावन तो बस, तीन ही,
जिनसे खुलते हैं लोगों के दुख-सुख यहाँ ।
सबसे पाकीज़ा उनमें से वह गीत है,
पालने पर जिसे गाया करती है माँ ।
दूसरा गीत भी गीत माँ ही का है,
बर्फ़ से गाल पर फेरकर हाथ जो,
अपने बेटे की मय्यत पे गाती है जो
तीसरा गीत चाहे कोई गीत हो ।
'''रूसी भाषा से अनुवाद : साबिर सिद्दीक़ी'''
</poem>