भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निहालचंद |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatHaryana...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निहालचंद
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
बन्दे भूल्या भजन राम का, विरथा जन्म गँवाया क्यूँ ॥टेक॥
मतना शाह तै आँख चुरावै,
फेर तनै कौड़ी भी ना थ्यावै,
नोटिस जगत सेठ का आवै, नाटग्या पूँजी ल्याया क्यूँ ।1।
जब ऊपर नै पैर तेरे थे,
चौगरदै मल मूत्र फिरे थे,
तनै ओदर मैं वचन भरे थे, झूठा हलफ उठाया क्यूँ ।.2.।
सदा उम्र ना ज़रूर मरैगा,
जब आवैंगे यमदूत डरैगा,
दण्ड तेरे बदले कौण भरैगा, जाण कै पाप कमाया क्यूँ ।3।
कहैं निहालचन्द छन्द हँस कै,
नाँगल ठाकरान मैं बस कै,
बैठ्या मोह माया मैं फँस कै, भूल का कोट चिणाया क्यूँ ।4।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=निहालचंद
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
बन्दे भूल्या भजन राम का, विरथा जन्म गँवाया क्यूँ ॥टेक॥
मतना शाह तै आँख चुरावै,
फेर तनै कौड़ी भी ना थ्यावै,
नोटिस जगत सेठ का आवै, नाटग्या पूँजी ल्याया क्यूँ ।1।
जब ऊपर नै पैर तेरे थे,
चौगरदै मल मूत्र फिरे थे,
तनै ओदर मैं वचन भरे थे, झूठा हलफ उठाया क्यूँ ।.2.।
सदा उम्र ना ज़रूर मरैगा,
जब आवैंगे यमदूत डरैगा,
दण्ड तेरे बदले कौण भरैगा, जाण कै पाप कमाया क्यूँ ।3।
कहैं निहालचन्द छन्द हँस कै,
नाँगल ठाकरान मैं बस कै,
बैठ्या मोह माया मैं फँस कै, भूल का कोट चिणाया क्यूँ ।4।
</poem>