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<poem>
कितना बोला था शुगर कम कर दे
तेरी मिश्री-सी नज़र कम कर दे

मुस्कुराती है मुझे देख के तू
अच्छा लगता है मगर कम कर दे

लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं
कुछ नहीं होता है डर कम कर दे

प्यासे मर जाएँ कई सहरा यहाँ
कोई दरिया जो सफ़र कम कर दे

उसकी आँखों का नशा है मुझपर
है कोई उसका असर कम कर दे
</poem>
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