भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनीत पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विनीत पाण्डेय
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हार तो काबिज ही होगी लश्करों पर
बेवकूफी है भरोसा कायरों पर
क्या भला मौसम बिगाड़ेगा हमारा
हम उगे हैं दूब बन कर पत्थरों पर
खामियाजा भरते हैं बाबू-सिपाही
आँच तक आती नहीं है अफसरों पर
मुल्क की तहजीब को महफूज़ रखना
जिम्मेदारी है ये अब अपने सरों पर
चाह लें तो आसमाँ भी दूर कब है
है यकीं पूरा हमें अपने परों पर
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,260
edits