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== सांस्कृतिक मञ्च द्वारा श्रेष्ठी बिशनस्वरूप व्याख्यानमाला के प्रथम पुष्प पर आयोजित व्याख्यान ==
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'राजनीतिक जीवन में पारदर्शिता : सिद्धान्त और व्यवहार' विषय पर एक बृहद् आयोजन स्थानीय सूर्या बैंक्वेट हॉल में किया गया। यह आयोजन दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रथम सत्र जाने माने व्यक्तित्व विकास के स्तंभकार सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक सरदार जोगेन्द्र सिंह ने नगर के स्थानीय एवं आसपास गांवों के २५० विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के सूत्र बताए। इस अवसर पर पूर्व निदेशक ने कहा कि हर इंसान की अपनी समस्या होती है यदि समस्या नहीं होगी तो इंसान आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने जीवन की सफलता के तीन सूत्र कड़ी मेहनत, सामान्य ज्ञान व निश्चित रणनीति बताए। उन्होंने कहा कि यदि आप भविष्य की रणनीति तय करके चलेंगे तो नकारात्मक आदतें आपको प्रभावित नहीं कर पाएगी। उन्होंने अपने चालीस मिनट के उद्बोधन में विद्यार्थियों को अनेक सूत्र बताकर उनको अपने कैरियर के प्रति जागृत किया। इसके पश्चात्‌ विद्यार्थियों ने उनसे संवाद स्थापित करते हुए अनेक प्रश्न पूछे और विद्यार्थियों को संतुष्ट किया। श्री जोगेन्द्र सिंह को अपने मध्य पाकर विद्यार्थी काफी उत्साहित थे। इस अवसर पर जिला पुलिस अधीक्षक सुभाष यादव भी उपस्थित थे।
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द्वितीय सत्र में 'राजनीतिक जीवन में पारदर्शिता : सिद्धान्त और व्यवहार' विषय पर शहर के गणमान्य एवं प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करते हुए सरदार जोगेन्द्र सिंह ने वर्तमान राजनीति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इतिहास पर नजर डाली जाये तो पूरे विश्व में जनभावनाओं में अधिक अंतर नहीं मिलेगा। राजनीति में बढ़ते आपराधिकरण पर तब तक अंकुश नहीं लगाया जा सकता जब तक सभी राजनीतिक दल मिल बैठकर आचार संहिता तय नहीं कर लेते। स्वतंत्रता के साठ वर्ष बाद भी हम अपना कानून नहीं बना पाए। उन्होंने कहा कि १८६१ में बने कानूनों को हम वर्तमान में भी ढोये चले जा रहे हैं। इन्हीं कारणों से न्यायालयों में आज भी लाखों केस लंबित हैं। आम आदमी आज भी न्याय की आस से कोसों दूर है। सरदार जोगेन्द्र सिह ने कहा कि पारदर्शिता का पहला कदम हमें ही उठाना पड़ेगा तभी सफलता की सीढ़ी पर हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो हम चाहते हैं वह पहले स्वयं पर लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि हम कितने ही कानून बना लें फिर भी जहां वोट, इंसान और विवेक बिकता हो वहां भ्रष्टाचार को लगाम लगाना कहां तक संभव है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंट इंटरनेशनल के अनुसार भारत में भ्रष्टाचार कम करने के मामले में ३३ अंक मिले हैं। जबकि गत वर्ष यह आंकड़ा २९ अंक का था। आज हरियाणा प्रदेश में पूरे बजट का ९२ प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन, मंत्रियों एवं विधायकों पर और बाकि बचा हुआ ८ प्रतिशत विकास के कार्र्यों पर खर्च होता है। उन्होंने कहा कि आम जनता आज तक एक अधिनियम से अनभिज्ञ है जो १२ जुलाई २००६ को लागू हो चुका है। उन्होंने इस सूचना के अधिकार को लोकतंत्र में सही कदम बताया। ऐसे में देश के बुद्धिजीवियों को व प्रबुद्ध संगठनों के प्रतिनिधियों को आम जनता से अवगत कराना चाहिए। सी.बी.आई. के पूर्व निदेशक ने कहा कि मीडिया द्वारा स्टिंग ऑपरेशनों पर रोक लगाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ऐडी-चोटी का जोर लगा दिया परन्तु भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगाने व पैसे के लेने-देन के बारे में किसी ने कुछ नहीं कहा। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ० चन्द्र त्रिखा ने कहा कि पूंजीपतियों ने आयकर से बचने के लिए राजनीतिक दलों का गठन कर लिया लेकिन वे चुनाव नहीं लड़ते। उन्होंने कहा कि वर्तमान में लगभग ३०० से ज्यादा चैनल संचालित हैं लेकिन करोड़ों रूपये की विज्ञापन राशि हासिल करने के चक्कर में मूल मुद्दों से हट जाते हैं। उन्होंने कहा कि न तो कोई राजनीतिक दल पूर्ण है और न ही कोई कंपनी। उन्होंने लोगों को आह्‌वान किया कि वे अपने जीवन मूल्यों को व्यवहार में लाएं इसके बिना राजनीति में पारदर्शिता नहीं आ सकती।
कार्यक्रम का शुभांरभ श्रेष्ठी बिशनस्वरूप के सुपुत्र गणेश गुप्ता ने श्रीफल तोड़कर किया। मंच की वरिष्ठ सदस्या सुश्री मंजीत मरवाह ने राष्ट्रीय गीत का गायन कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। स्वागताध्यक्ष शिवरतन गुप्ता ने अपने स्वागतीय व्यक्तव्य में उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान का आयोजन समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा। इस अवसर पर स्थानीय विधायक डॉ० शिव शंकर भारद्वाज ने भी जोगेन्द्र सिंह और डॉ० चंद्र त्रिखा के पधारने पर उनका आभार प्रकट करते हुए अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर कम्प्यूटर डिजायनर व सांस्कृतिक मंच के अनन्य सहयोगी योगेश शर्मा को भी सरदार जोगेन्द्र सिंह द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष विद्यासागर गिरधर ने उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर मंच ने रोटरी क्लब, भारत विकास परिषद, ब्राह्मण विकास परिषद्, दक्ष प्रजापति महासभा, संस्कार भारती, भिवानी क्लब, रामा काम्पलैक्स मार्केट, भिवानी चैम्बर ऑफ कॉमर्स, कहरोड़ पक्का महासभा (दिल्ली), जूनियर चैम्बर्स इंडिया, श्री गुरुद्वारा श्री गुरूसिंह सभा, हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा, श्री राम परिवार सेवा समिति, श्री सीतादेवीश्रीनिवासशास्त्रीसेवानिधिः जैसी संस्थाओं को अपने साथ जोड़कर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। इस अवसर पर वरिष्ठ एडवोकेट अविनाश सरदाना, प्रदेश अधिवक्ता परिषद् के संगठन मंत्री राजकुमार मक्कड़, बी.टी.एम. के महाप्रबन्धक राजेन्द्र कौशिक, आर.पी. सिंह आईएएस,, एवं अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन डॉ० बुद्धदेव आर्य ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मंच के महासचिव जगतनारायण, डॉ० वी.बी. दीक्षित, आशीष आर्य, डॉ० संजय अत्री, डॉ० निलांगिनी शर्मा, श्रीमती शशी परमार, गजराज जोगपाल, घनश्याम शर्मा, डॉ. मदन मानव व अन्य सभी कार्यकर्ताओं ने अपना योगदान दिया। इस अवसर पर श्रेष्ठी बिशनस्वरूप की धर्मपत्नी श्रीमती शारदा देवी, पुत्र अनुज गुप्ता, राजरतन गुप्ता व उनके परिवार के सदस्य उपस्थित थे।
 
== प्रोफेसर अशोक चक्रधर का छप्पन छुरोत्सव ==
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