भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
18 bytes removed,
12:51, 5 दिसम्बर 2008
<span class="upnishad_mantra">
:::वायुर्निलममृतमथेदम भस्मानतम शरीरम।<br>:::ॐ क्रतो स्मर कृत स्मर क्रतो स्मर कृत स्मर ॥१७॥<br>
</span>
<span class="mantra_translation">
:::यह देह शेष हो अग्नि में, वायु में प्राण भी लीन हो,<br>:::जब पंचभौतिक तत्व मय, सब इंद्रियां भी विलीन हों,<br>:::तब यज्ञ मय आनंद घन, मुझको मेरे कृत कर्मों को,<br>:::कर ध्यान देना परम गति, करना प्रभो स्व धर्मों को॥ [१७]<br><br>
</span>