भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
शेष मानव जन्म होने से पूर्व अति, अति पूर्व ही,<br>
यदि भजन साधक कर सके तो जन्म पाये अपूर्व ही।<br>
बिन भजन साक्षात्कार के,यह जन्म व्यर्थ है सिद्ध है,<br>
पुनि विविध योनी लोक में, वह कल्पों तक आबद्ध है॥ [ ४ ]<br><br>
</span>