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जीवन के फेनिल मोती को<br>
ले ले चल करतल में टलमल!<br>
 
छू छू मृदु मलयानिल रह रह<br>
करता प्राणों को पुलकाकुल;<br>
जीवन की लतिका में लहलह<br>
विकसा इच्छा के नव नव दल!<br>
 
सुन मधुर मरुत मुरली की ध्वनी<br>
गृह-पुलिन नांध, सुख से विह्वल,<br>
हम हुलस नृत्य करतीं हिल हिल<br>
खस खस पडता उर से अंचल!<br>
 
चिर जन्म-मरण को हँस हँस कर<br>
हम आलिंगन करती पल पल,<br>
फिर फिर असीम से उठ उठ कर<br>
फिर फिर उसमें हो हो ओझल!<br><br>
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