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Kavita Kosh से
जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला<br>
रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई<br><br>
तिज़ारत - व्यापार , व्यवसाय
दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा<br>
वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला<br>
दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई<br><br>
अदावत - दुश्मनी