भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम' }} <Poem> घर जला,रोशनी हुई साहिब ये ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=श्याम सखा 'श्याम'
}}
<Poem>
घर जला,रोशनी हुई साहिब
ये भी क्या जिन्दगी हुई साहिब

तू नहीं और ही सही साहिब
ये भी क्या आशिकी हुई साहिब

है न मुझको हुनर इबादत का
सर झुका, बन्दगी हुई साहिब

भूलकर खुद को जब चले हम ,तब
दोस्ती आपसे हुई साहिब

खुद से चलकर तो ये नहीं आई
दिल दुखा,शायरी हुई साहिब

जीतकर वो मजा नहीं आया
हारकर जो खुशी हुई साहिब

तुम पे मरकर दिखा दिया हमने
मौत की बानगी हुई साहिब

‘श्याम’ से दोस्ती हुई ऐसी
सब से ही दुश्मनी हुई साहिब

</poem>