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<Poem>
सबके अपने-अपने 'हाँ-हाँ'
न वह राजा था न जोगी
क्योंकि उसके
न दसो दसों चक्र थे न दसो दसों शंख!
मगर ज्योतिषियों की निगाह
उस पर पड़ गयीगईहालांकि हालाँकि वह लगातार चीखता चीख़ता रहा
कि उसे किसी भी ज्योतिषी पर
ज्योतिषी ज्योतिषी था/ जानता था
देश के इतिहास में
विदेशी शासक किस -किस के अक्सों को
आगे करके आया था
देश के भविष्य में ज्योतिषी
आईना आगे करके/आ गया
अपनी लम्बाई से बित्ता -भर बडे+बडे़ / आईने की
आड़ में ज्योतिषी था
ज्योतिषी की आड़ में भविष्य...
भविष्य की आड़ में वर्तमान था...
पूरा इत्मीनान था।
उसने ताड़ लिया था/कि जनतंत्रा जनतंत्र में/आता हुआ समाजवाद/भागते हुए पीछे मुड़ -मुड़ कर क्यों देखता है आखिर आख़िर
हर बार !
आईने की आड़ में ज्योतिषी था।
इतना बड़ा आईना !
उसने पहली बार देखा था
वह उसे देखता रह गया।
कुछ गड़ने लगा उसके/ क्या गड़ रहा है यह!ᄉउसने -उसने सीने पे टटोला।
एकाएक समझ में आयाᄉ आया- जो चीज
गड़ रही है वो उसके सीने में नहीं, उसके घर के
किसी आले में होगीᄉकोरहोगी- कोर, उस टूटे हुए
छोटे से
शीशे की
जो उसकी पत्नी के हाथों में होता है/ जब वह
अपनी मांग में सेंदुर दे रही होती है
या माथे पे लगा रही होती है
टिकुली!
और यह/ इतना बड़ा आईना !÷देखो 'देखो तो, तुम कितने महान हो'ᄉपीछे -पीछे से किसी की आवाजआवाज़ / उसने सुनी।मुड़ कर पीछे देखने की जरूरत ज़रूरत नहीं थी, आवाज आवाज़ का चेहरा आईने में/ उसके अपने चेहरे के बिल्कुल नजदीक नज़दीक था। सच तो यह है/ कि आईने के सामने होकर भी
उसकी निगाह अब तक
अपने चेहरे और अपनी शक्ल पर गयी गई ही न थी
अब तक वह केवल
घर के आने वाले शीशे और सामने वाले आईने की
तुलना करने में ही भूला था/और
वह दंग था
कि यह आईना कितना बड़ा है!
और अब/वह और अधिक दंग थाकि वह महान कैसे है?ᄉइतने बड़े आईने में/उसका अपना चेहरा आवाज आवाज़ के चेहरे के मुकाबले तो और भीᄉभी-
छोटा
दिखता है।
आईने में खिल उठा।
आईने में अपना प्रतिबिम्ब देखते हुए
बुदबुदाया।
अपने देश की गौरवपूर्ण संस्कृति और दर्शन से;
जो दिखता है वही सही नहीं होता!''"
अब उसने अपने चेहरे पर गौर किया
आईने में
और आवाज आवाज़ के चेहरे से अपने चेहरे का
मिलान भी।
जब वह देख रहा था उन्हें,
वो और भी छोटी होती जा रही थीं।
देखते ही देखते
उसकी अपनी शक्ल
आईने में थी
उसने
अनेक कोणों से आईने में खुद ख़ुद को देखा
फिर उसी देखने के सिलसिले में
आईने को
उसने दोनों हाथ बढ़ा कर थाम लिया।
अंगूठा छोड़/बाकी बाक़ी सब उंगलियां उंगलियाँ आईने की आड़ में खडे+ ज्योतिषी को दिखने लगीं/ज्योतिषी ने
मन ही मन
आईने को अब/ज्योतिषी के लिए/ज्योतिषी के
हाथों की
आईने के सामने था जन
आईने को पकड़े