भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<Poem>
धूल में पड़ी रहती हैं बहुत सी चीज़ें ।
तिनके । टुकड़े कांच काँच के । उड़कर कहीं से
चले आये मकड़ी के जाले के तार ।
पंख । चिट्ठियों के अक्षर ।