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{{KKRachna|रचनाकार: [[=केदारनाथ सिंह]]|संग्रह=अकाल में सारस / केदारनाथ सिंह }}
[[Category:कविताएँ]]
जैसे मुझे जानता हो बरसों से
देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो
मुझे देखा
तो कैसे लपका चला आ रहा है
मेरी तरफ़
पर अफ़सोस
कि चाय के लिये
मैं उसे घर नहीं ले जा सकता