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[[Category:कविताएँ]]
[[Category:केदारनाथ सिंह]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~  <Poem>
जैसे मुझे जानता हो बरसों से
 
देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो
 
मुझे देखा
 
तो कैसे लपका चला आ रहा है
 
मेरी तरफ़
 
पर अफ़सोस
 
कि चाय के लिये
 
मैं उसे घर नहीं ले जा सकता
  'अकाल में सारस' नामक कविता-संग्रह से</poem>
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