भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
'''1.'''
गृहस्थी और तुनक मिजाजी चलती रहेगी
बहुत पास
पूर्ण स्मित हास
इतने पास
गर्मजोशी सब कुछ बांट बाँट लेने की
सलेटी बादलों में उजास
समुद्री हवा अनायास
(1996)