भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत |संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत
|संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप्रकाश् सारस्वत
}}
<Poem>

इस मादक मौसम में
यूँ मत इठलाइए,
कलियों की वादी को
यूँ मत सुलगाइए
इक तो यह मुग्धा गँध
विभ्रम के छँद पढ़ी
अब और इसे मत आप
छूकर बहकाइए
यह आम्रपाली कोयल
श्रृंगारशती का रूप
अब और इसे मत आप
रसभेद पढ़ाइए
यह टेसू कामीदूत
अँगारक-पत्र लिए
अब इससे बचकर आप
संधि लिखवाइए
यह फाल्गुनी-इच्छा
रोमिल होने को है
अब आप कृपा करके
मत स्पर्श जगाइए

</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits