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मुनादी / केशव

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है बस्ती वाले हैरान
हुक्मसुनो हुक्मरानो सुनो घर छपरों की
लिपाई पुताई कर लो
न हो कुछ तो
सुनो सुनो
बस्ती में.......
 
</poem>
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