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सदस्य:Ktheleo

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कुछ मुख़्तसरशेर

ज़ुबान से जो कही वो बात आम होती है,
खास मसलों पे गुफ्तगू का अंदाज़ और है.

ज़ज़्बात में अल्फ़ाज़ की ज़रूरत ही कहाँ है,
गुफ्तगू वो के तू सब जान गया और मैं खामोश यहाँ हूँ.
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