Changes

यह दिन रैन नाम उच्चरै,
वह नित मान अगिनी मंह जरै॥ [४१] [चौपाई]
 
दास रता एक नाम सों, उभय लोक सुख त्यागि,
तुलसी न्यारो ह्वै रहै, दहै न दुःख की आगि [४२]
</span>
</poem>