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क़तील शिफ़ाई

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* [[जब भी चाहें एक नई सूरत बना लेते हैं लोग / क़तील]]
* [[अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की / क़तील]]
* [[अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझ को / क़तील]]