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|रचनाकार=अमीर खुसरो}}
<poem>खुसरो रैन सुहाग की, जागी पी के संग। तन मेरो मन पियो को, दोउ भए एक रंग।। खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार।
खुसरो दरिया प्रेम का, उल्टी वा की धार।
जो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार।।
आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा।।
चल खुसरो घर आपने, सांझ भयी चहु देस।।
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