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ख़ाली जगह / अमृता प्रीतम

No change in size, 18:39, 7 फ़रवरी 2009
तन के मेंह में भीगती रही,
वह कितनी ही देर
तन के मेंह में जलता गलता रहा।
फिर बरसों के मोह को
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