भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
एक आदमी{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शक्ति चटोपाध्‍याय|संग्रह=}}<br /Poem> एक आदमीअचानक ताली बजाकर शब्‍द करता है<br />क्‍योंकि पत्‍थर को देख उसे डर लगता है<br />उसे डर लगता है<br />कि कहीं स्‍वयं वह पत्‍थर तो नहीं ! <br /><br />
आदमी और पत्‍थर<br />यदि भर लेंगे एक दूसरे को बांहों में<br />तो उससे पैदा होगी आग !<br />इसीलिए डरता है आदमी<br />आदमी को देखकर<br />
वह घने जंगलों में जाता है<br />पर नहीं डरता<br />वहां वह देखता है बाघ के पंजों के निशान<br />पर वे उसे लगते हैं<br />लक्ष्‍मी के पैरों की छाप की तरह शुभ<br />पर आदमी को डर लगता है<br />धूप से,अगरबत्‍ती की गंध से<br />आदमी को डर लगता है<br />आदमी से !<br /poem>