भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
आदमी और पत्थर<br />यदि भर लेंगे एक दूसरे को बांहों में<br />तो उससे पैदा होगी आग !<br />इसीलिए डरता है आदमी<br />आदमी को देखकर<br />
वह घने जंगलों में जाता है<br />पर नहीं डरता<br />वहां वह देखता है बाघ के पंजों के निशान<br />पर वे उसे लगते हैं<br />लक्ष्मी के पैरों की छाप की तरह शुभ<br />पर आदमी को डर लगता है<br />धूप से,अगरबत्ती की गंध से<br />आदमी को डर लगता है<br />आदमी से !<br /poem>