भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
लेकिन कुछ फूलों की नियति ही ऎसी होती है
जो फूल की जगह काँटें लेकर आते हैं
शायद मेरे आँगन में लगा गुलब गुलाब भी
कुछ ऎसा ही है मेरी ज़िन्दगी के लिए।
</poem>