भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़ौक़ }} [[category: ग़ज़ल]] <poem> इस तपिश<ref>जलन</ref> का है मज़ा ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़ौक़
}}
[[category: ग़ज़ल]]

<poem>
इस तपिश<ref>जलन</ref> का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम<ref>सर से लेकर पैरों तक</ref> दिल होता

करता बीमारे-मुहब्बत का मसीहा जो इलाज
इतना दिक़<ref>कठिन</ref> होता कि जीना उसे मुश्किल होता

आप आईना-ए-हस्ती<ref>आस्तिव-रूपी दर्पण</ref> में है तू अपना हरीफ़<ref>शत्रु</ref>
वर्ना यहाँ कौन था जो तेरे मुक़ाबिल<ref>शत्रु जो ललकार दे</ref> होता

होती अगर उक़्दा-कुशाई न यद-अल्लाह<ref>हज़रत अली</ref> के साथ
'ज़ौक़' हाल क्योंकि मेरा उक़्दए-मुश्किल<ref>कठिन काम</ref> होता

{{KKMeaning}}
</poem>