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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी हैख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी हैइस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है
पत्थर के जिगर वालों ग़म एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो रवानी फूल सा चेहरा है <br>ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है <br><br>
फूलों क्यों चांदनी रातों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है <br>दरिया पे नहाते होइस सोये हुए पानी में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी क्या आग लगानी है <br><br>
एक ज़हनइस हौसला-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है <br>दिल पर हम ने भी कफ़न पहनापत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है <br><br>
क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो <br>रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता हैसोये हुए आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी में क्या आग लगानी है <br><br>
इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना <br>हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है <br><br> रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है <br>आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है <br><br> ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना <br>तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है <br><br/poem>