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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह= }} <poem> रिमझिम बरसते सावन में व...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=
}}
<poem>
रिमझिम बरसते सावन में
वह स्त्री
बेमतलब ही
एक से दूसरे कमरे में
आ-जा रही थी
एकाएक उसे लगा
बेटे ने ही
भड़भड़ाया था द्वार
कुछ वैसी ही
अधीर पुकार
भागती आई
साँकल हटाई
वही तो था !
चश्मा लगाए
अँधियारी एक आँख छिपाए
एक टाँग वाला
उसका लाल
बैसाखी पर
तन झुकाए।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=
}}
<poem>
रिमझिम बरसते सावन में
वह स्त्री
बेमतलब ही
एक से दूसरे कमरे में
आ-जा रही थी
एकाएक उसे लगा
बेटे ने ही
भड़भड़ाया था द्वार
कुछ वैसी ही
अधीर पुकार
भागती आई
साँकल हटाई
वही तो था !
चश्मा लगाए
अँधियारी एक आँख छिपाए
एक टाँग वाला
उसका लाल
बैसाखी पर
तन झुकाए।
</poem>