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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
लरजते अमलतास ने
खिलते हरसिंगार से
ना जाने क्या कह दिया
बिखर गया है ज़मीन पर
उसका एक-एक फूल
जैसे किसी गोरी का
मुखड़ा सफ़ेद हो के
गुलाबी-सा हो गया !!
<poem>
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|रचनाकार=रंजना भाटिया
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}}
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लरजते अमलतास ने
खिलते हरसिंगार से
ना जाने क्या कह दिया
बिखर गया है ज़मीन पर
उसका एक-एक फूल
जैसे किसी गोरी का
मुखड़ा सफ़ेद हो के
गुलाबी-सा हो गया !!
<poem>