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|रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर'
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[[Category:ग़ज़ल]]
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नि दिमाग है कि किसू से हम,करें गुफ्तगू गम-ए-यार में
न फिराग है कि फकीरों से,मिलें जा के दिल्ली दयार में