भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा }} <poem> कभी-कभी मन की उद्वेलना मस्ति...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
कभी-कभी
मन की
उद्वेलना
मस्तिष्क में
स्मृतियों को
सपंदित
उत्तेजित
झंकृत कर
रतजगा है करवाती .
हृदय की
पोटली में बंधे
एहसास
अनुभूतियाँ
स्पर्श
खुल-खुल कर
विचलित हैं करते .
पुराने जर्जर
पीले पड़े पत्र
उद्धव का संवाद से
गोकुल में भटकती
ग्वालिन के
व्यथित हृदय
पीड़ित मस्तिष्क में
नई संचेतना
संचारित हैं करतें .
ऐसे में
कल्पना
सोच
मन में
तुम्हें
करीब पा
अपनी वेदना की पीड़ा
से निवृति हूँ पाती .
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा
}}
<poem>
कभी-कभी
मन की
उद्वेलना
मस्तिष्क में
स्मृतियों को
सपंदित
उत्तेजित
झंकृत कर
रतजगा है करवाती .
हृदय की
पोटली में बंधे
एहसास
अनुभूतियाँ
स्पर्श
खुल-खुल कर
विचलित हैं करते .
पुराने जर्जर
पीले पड़े पत्र
उद्धव का संवाद से
गोकुल में भटकती
ग्वालिन के
व्यथित हृदय
पीड़ित मस्तिष्क में
नई संचेतना
संचारित हैं करतें .
ऐसे में
कल्पना
सोच
मन में
तुम्हें
करीब पा
अपनी वेदना की पीड़ा
से निवृति हूँ पाती .
</poem>