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शारदे! / उदयप्रताप सिंह

1 byte added, 00:13, 27 फ़रवरी 2009
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संपदा त्रिलोक की न अंब चाहिये मुझे,
सपूत कह के प्यार से पुकार दे ओ शारदे ।