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Kavita Kosh से
पर कभू मैं न कहा उससे कि दौराँ<ref>ऐ ज़माने</ref>, मुझको
किसकी मिल्लत में गिनूँ मैं आपको बतला ऐ शैख़
तू मुझे गब्र<ref>क़ाफ़िर</ref> कहे, गब्र मुसलमाँ मुझको