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बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नही होती है !!!<br><br>
सचमुच मुझे दण्ड दो के कि हो जाऊँ<br>
पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में<br>
धुएँ के बाद्लों में<br>