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मानसरोवर के उन स्वर्णिम
कमलों पर गिरते देखा है,
 
बादल को घिरते देखा है।
 
 
तुंग हिमालय के कंधों पर
बादल को घिरते देखा है।
 
 
ऋतु वसंत का सुप्रभात था
उस महान् सरवर के तीरे
शैवालों की हरी दरी पर
प्रणय-कलह छिड़ते देखा है।<br>
बादल को घिरते देखा है।
 
शत-सहस्र फुट ऊँचाई पर
बादल को घिरते देखा है।
 
 
कहाँ गय धनपति कुबेर वह
गरज-गरज भिड़ते देखा है,
बादल को घिरते देखा है।
 
 
शत-शत निर्झर-निर्झरणी कल
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