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Kavita Kosh से
:::कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो।
:::हल दोनो ने अपना-अपना कर्म किया
:::मैंने दिया और आपने लिया:::अब फल अच्छा निकले या खराब :::यह तो हरि इच्छा है जनाब।"
डॉक्टर से कहा:"आँख है तो ज़िन्दगी है
:::एक गई दूसरी बची है।"
तो बोला:"लोग बाग बिना बोर्ड पढ़े
:::चेम्बर में घुस आते हैं:::शर्म नहीं आती:::नाक वाले डॉक्टर को :::आँख दिखाते हैं।"
दर्ज़ी से कहा:"कुर्ता पेट पर टाइट सिला है।"
तो बोला:"कपड़ा क्या आपको
:::प्रेज़ेंट मिला है:::पानी में डालते ही आधा रह गया:::अब जैसा बना है ले जाइए:::कुर्ते को पेट के लायक नहीं:::पेट को कुर्ते के लायक बनाइए।"
पान वाले से कहा:"पाँच रुपये का पान
:::कहाँ जाएगा हिन्दुस्तान?"
दुकानदार से कहा:"यार ठीक से तौलो"
तो बोला:"तौलने के बारे में कुछ मत बोलो
:::ज़िन्दगी भार यही किया है:::ग्राहक को तौल से ज्यादा दिया है:::आप पहले है जो बोल रहे हैं:::वर्ना कोई नहीं देखता:::कि हम क्या तौल रहे है।"
नौकरानी से कहा:"एक तो बर्तन चुराती हो
:::उपर से आँख दिखाती हो।"
तो बोली:दिखा तो आप रहे हैं
:::बर्तन मलवाओ,न मलवाओ:::चोरी का इल्ज़ाम मत लगाओ:::हमें पता है:::कि आप कितने बड़े है:::आधे बर्तनो पर तो:::पड़ोसियों के नाम पड़े है।"
बेटे से कहा:"बाल मत बढ़ाओ"
तो बोला:"पापाजी आदर्श का पाठ मत पढाओ
:::हम ज़माने के साथ चल रहे है:::आपके बाल नहीं है न:::इसलिए आप जल रहें हैं।"
बीबी से कहा:"पति हूँ,चपरासी नहीं।"
तो बोली:"पत्नी हूँ, दासी नहीं
:::आपसे तो दामाद फँसा नहीं
:::मुझे ही फँसाने दो।"
पड़ोसी से कहा:"आपका बेटा लड़कियो को छेड़ता है।"
तो बोला:"बेटे का नहीं उम्र का दोष है
:::जैसा भी है अच्छा है
:::किसी ऐसे वैसे का नहीं
:::हमारा बच्चा है।"
लड़के वाले से कहा:"बेटी पढ़ी-लिखी और सुन्दर है।"
तो बोला:"हमारा बेटा कौन-सा बन्दर है
:::रंग थोड़ा पक्का है
:::फिर पढाई में क्या रक्खा है
:::अच्छे-अच्छे लोग
:::डिगरियाँ लटकाए घूम रहे हैं
:::भाई साहब!
:::अपुन तो ऐसी लड़की ढूंढ रहे हैं
:::जिसके बाप के पास पैसा हो
:::चेहरे का क्या है
:::चाहे जैसा हो।"
प्रोफ़ेसर से कहा:"जब देखो
:::कॉफी हाउस में नज़र आते हो
:::बच्चो को कब पढ़ाते हो?"
तो बोला:"साल में दो महीने इतवार के
:::तीन स्ट्राइक के
:::चार त्योकार के
:::बच्चे अपने आप पाद हो जाते है
:::नकल मार के।"
सिपाही से कहा:"कानून को भी मानते हो
:::या केवल डंडा घुमाना जानते हो?"
तो बोला:"कानून की भाषा पढ़े-लिखे बोलते हैं
:::हम तो हर कानून को
:::डंडे से तोलते हैं
:::डंडा हाथ में है तो गुंड़ा साथ में है।"
नेता से कहा:"वोट लिया है
:::बदले में क्या दिया है?"
तो बोला:"हम नेता हैं
:::आगे रहते है
:::पीछे क्या हो रहा है
:::कैसे देख सकते है
:::हमने माना कि देश का हाल बुरा है
:::मगर हमारे बापू ने हमें सिखाया है
:::बुरा मत देखो
:::बुरा मत सुनो
:::बुरा मत बोलो।"