भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क़ीमत / गिरधर राठी

393 bytes added, 12:55, 15 अप्रैल 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरधर राठी }} <poem> मानो तो बड़ी वरना कुछ भी नहीं- ह...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गिरधर राठी
}}


<poem>
मानो तो बड़ी
वरना कुछ भी नहीं-


हलक़ में एक पल ख़ुश्की
नज़र में लम्हा भर शर्म


रात के अकेले में
बरबस दबा लेना चीख़ . . .

</poem>
Mover, Uploader
752
edits