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{{KKRachna
|रचनाकार=कैलाश वाजपेयी
}}
<poem>
औरतें
अंधा कूप्प
उमस भरे खेत हैं
आप तैर जाएँ तो जाएँ
ईश्वर के लिए
उग नहीं आएँ।
</poem>
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|रचनाकार=कैलाश वाजपेयी
}}
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औरतें
अंधा कूप्प
उमस भरे खेत हैं
आप तैर जाएँ तो जाएँ
ईश्वर के लिए
उग नहीं आएँ।
</poem>