भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नित्यानन्द तुषार }} <Poem> हम भटकते हैं पर अब वफ़ा के...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नित्यानन्द तुषार
}}
<Poem>
हम भटकते हैं पर अब वफ़ा के वास्ते
चोट खाते हैं बहुत हम इस ख़ता के वास्ते

जिसका बच्चा भूख से बेहाल है उस हाल में
दूध, मन्दिर ले गया क्यूँ देवता के वास्ते

चार दिन से उनकी बेटी कुछ अधिक बीमार थी
बालकों की गुल्लकें तोडीं दवा के वास्ते

उन सभी की चाल को पहचानती है अब नज़र
दोस्ती करने लगे जो फिर दगा के वास्ते

बस ज़रा-सा फ़र्क उनमें और हममें है यही
वो ख़िताबों के लिए हैं हम सज़ा के वास्ते

बन्द कमरे की घुटन में मन बहुत बेचैन है
खिड़कियों को खोल दो ताज़ा हवा के वास्ते

</poem>