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जो पेड़ मेरे पिता ने कभी लगाया था / जहीर कुरैशी
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07:22, 22 अप्रैल 2009
ये
दर्पनों
दर्पणों
के अलावा न कोई देख सका
स्वयं सँवरते हुए रूप कब लजाया था
Ysjabp
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