भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने सोचा / विष्णु नागर

258 bytes added, 21:40, 25 अप्रैल 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर }} <poem> मैंने सोचा तुम्हें बहुत भूख लग...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
}}

<poem>

मैंने सोचा तुम्हें बहुत भूख लगी होगी
और मैंने कुछ नहीं सोचा।

</poem>
Mover, Uploader
752
edits