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{{KKRachna
|रचनाकार=विष्णु नागर
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मैंने सोचा तुम्हें बहुत भूख लगी होगी
और मैंने कुछ नहीं सोचा।
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मैंने सोचा तुम्हें बहुत भूख लगी होगी
और मैंने कुछ नहीं सोचा।
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