भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>ग...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह= तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>गाँव, घर, नगर-नगर भूमि की पुकार
ताल, सर, लहर-लहर भूमि की पुकार
सींचें जो खेत में बूँद - बूँद गात
और ना पिएँ ज़हर भूमि की पुकार
नींव में ग़रीब-रक्त और ना चुए
साँझ प्रात दोपहर भूमि की पुकार
भूख के उरोज पर सेठ या मुनीम
और ना धरें नज़र भूमि की पुकार
और की हरे न धूप, छाँव बरगदी
दूर-दूर फैल कर , भूमि की पुकार
नींद की ग़ज़ल नहीं आज मित्रवर!
जागृति के छंद भर भूमि की पुकार </poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह= तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>गाँव, घर, नगर-नगर भूमि की पुकार
ताल, सर, लहर-लहर भूमि की पुकार
सींचें जो खेत में बूँद - बूँद गात
और ना पिएँ ज़हर भूमि की पुकार
नींव में ग़रीब-रक्त और ना चुए
साँझ प्रात दोपहर भूमि की पुकार
भूख के उरोज पर सेठ या मुनीम
और ना धरें नज़र भूमि की पुकार
और की हरे न धूप, छाँव बरगदी
दूर-दूर फैल कर , भूमि की पुकार
नींद की ग़ज़ल नहीं आज मित्रवर!
जागृति के छंद भर भूमि की पुकार </poem>