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इक लफ़्ज़ेलफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है <br>
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है <br><br>
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा <br>
आज एक सितमगर को हँस -हँस के रुलाना है <br><br>
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे <br>
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