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Kavita Kosh से
:::हमारे देश का प्रजातंत्र
:::वह तंत्र है
:::जिसमें कर हर बिमारी स्वतंत्र है:::दवा चलती रहे, ईमार बीमार चलता रहे-
:::यही मूल-मंत्र है।
फलवाले से कहा :"उपर ऊपर से देखने में चिकना है
:::भगवान जाने रस कितना है।"
तो बोला: " गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है
:::कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो।
:::हल दोनो हम दोनों ने अपना-अपना कर्म किया
:::मैंने दिया और आपने लिया
:::अब फल अच्छा निकले या खराब ख़राब :::यह तो हरि -इच्छा है जनाब।"
डॉक्टर से कहा:"आँख है तो ज़िन्दगी है
:::एक गई दूसरी बची है।"
तो बोला:"लोग -बाग बिना बोर्ड पढ़े
:::चेम्बर में घुस आते हैं
:::शर्म नहीं आती
दर्ज़ी से कहा:"कुर्ता पेट पर टाइट सिला है।"
तो बोला:"कपड़ा क्या आपको
:::प्रेज़ेंट में मिला है
:::पानी में डालते ही आधा रह गया
:::अब जैसा बना है ले जाइए
:::कुर्ते को पेट के लायक लायक़ नहीं:::पेट को कुर्ते के लायक लायक़ बनाइए।"
पान वाले से कहा:"पाँच रुपये का पान
:::कहाँ जाएगा हिन्दुस्तान?"
तो बोला:"खा कर तो देखिए श्रीमान
:::आत्मा खिल जाएगी
:::हमारे पाँच पाँन की पीक
:::शहर के हर कोने में मिल जाएगी।"
किताब वाले से पूछा:"प्रेमचन्द का गोदान है?"तो बोला: "गोदान!::यह नाम तो पहली बार सुना है श्रीमान::हम तो साहित्य का सम्मान कर रहे हैं!::सत्य कथाएं बेच कर::राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर रहे हैं।कैलेंडर वाले से पूछा:"हरिवंश राय बच्चन का चित्र है?"
तो बोला: "आपका टेस्ट भी विचित्र है
:::वर्तमान को
:::भूतकाल के कन्धे पर टांग रहे हैहैं:::बेटे के ज़माने में :::बाप का चित्र मांग रहे हैं।"लेखक से कहा: " यार कुछ ऐसा लिखो:::कि भीड़ से अलग दिखो।"तो बोला:"जैसा बनता है लिख रहे हैं
:::यही क्या कम है
:::कि हमारे जासूसी उपन्यास
:::रामायण से ज्यादा बिक रहे हैं।"
दुकानदार से कहा:"यार ठीक से तौलो"तो बोला:"तौलने के बारे में कुछ मत बोलो:::ज़िन्दगी भार भर यही किया है
:::ग्राहक को तौल से ज्यादा दिया है
:::आप पहले है हैं जो बोल रहे हैं
:::वर्ना कोई नहीं देखता
:::कि हम क्या तौल रहे है।हैं।"
नौकरानी से कहा:"एक तो बर्तन चुराती हो
:::उपर से आँख दिखाती हो।"
तो बोली:दिखा तो आप रहे हैं
:::बर्तन मलवाओ,न मलवाओ
:::चोरी का इल्ज़ाम मत लगाओ
:::हमें पता है
:::कि आप कितने बड़े है
:::आधे बर्तनो पर तो
:::पड़ोसियों पड़ौसियों के नाम पड़े है।"
बेटे से कहा:"बाल मत बढ़ाओ"
तो बोला:"पापाजी , आदर्श का पाठ मत पढाओपढ़ाओ:::हम ज़माने के साथ चल रहे हैहैं
:::आपके बाल नहीं है न
:::इसलिए आप जल रहें हैं।"
बीबी से कहा:"पति हूँ,चपरासी नहीं।"
तो बोली:"पत्नी हूँ, दासी नहीं
:::बाहर की भगवान जाने
:::घर में मेरी चलेगी
:::चिराग चिराग़ लेकर ढूंढने से भी
:::ऐसी बीबी नहीं मिलेगी।"
बेटी से कहा:"इतनी रात को कहाँ जा रहीं हो?"
:::आपसे तो दामाद फँसा नहीं
:::मुझे ही फँसाने दो।"
तो बोला:"बेटे का नहीं उम्र का दोष है
:::जैसा भी है अच्छा है
प्रोफ़ेसर से कहा:"जब देखो
:::कॉफी हाउस में नज़र आते हो
:::बच्चो बच्चों को कब पढ़ाते हो?"
तो बोला:"साल में दो महीने इतवार के
:::तीन स्ट्राइक के
:::चार त्योकार त्योहार के:::बच्चे अपने आप पाद पास हो जाते हैहैं
:::नकल मार के।"
सिपाही से कहा:"कानून को भी मानते हो
:::आगे रहते है
:::पीछे क्या हो रहा है
:::कैसे देख सकते हैहैं
:::हमने माना कि देश का हाल बुरा है
:::मगर हमारे बापू ने हमें सिखाया है