भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामधारी सिंह "दिनकर" }}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 9|आगे=रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 11|संग्रहसारणी=रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
 
 
[[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 9|<< द्वितीय सर्ग / भाग 9]] | [[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 11| द्वितीय सर्ग / भाग 11 >>]]
 
 
'छल से पाना मान जगत् में किल्विष है, मल ही तो है,
पर तुझ-सा जिज्ञासु आज तक कभी नहीं मैंने पाया।
 
 
[[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 9|<< द्वितीय सर्ग / भाग 9]] | [[रश्मिरथी / द्वितीय सर्ग / भाग 11| द्वितीय सर्ग / भाग 11 >>]]