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|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'"}}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 2|आगे=रश्मिरथी / तृतीय सर्ग / भाग 4|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह '"दिनकर'"
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मैत्री की राह बताने को,
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
 
 
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