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|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर" }}{{KKPageNavigation|पीछे=रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 4|आगे=रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 6|संग्रहसारणी= रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर"
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'जनमा जाने कहाँ, पला, पद-दलित सूत के कुल में,
कर्ण-धर्म होगा धरती पर बलि से नहीं मुकरना,
जीना जिस अप्रतिम तेज से, उसी शान से मारना.   [[रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 4|<< चतुर्थ सर्ग / भाग 4]] | [[रश्मिरथी / चतुर्थ सर्ग / भाग 6| चतुर्थ सर्ग / भाग 6 >>]]