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|रचनाकार=हिमांशु पाण्डेय
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मच्छरदानी लगाना मेरे कस्बे में
सुरक्षित व सभ्य होने की निशानी है ।

मैं मच्छरदानी नहीं लगाता
तो इसका मतलब है
कि मैं हाईस्कूल की जीव विज्ञान की
पुस्तक का सबक भूल गया हूँ ,
निरा, निपट विस्मृति का शिकार मनुष्य हूँ ।

मैं मच्छरदानी नहीं लगाता
तो इसका मतलब है
कि मैं अज्ञ हूँ निरंतर हो रहे शोध एवं उनके परिणामों से
कि मच्छर का इलाज मच्छर नाशक नहीं,
मच्छरदानी हो सकती है ।

मैं मच्छरदानी नहीं लगाता
कि कैद कराने की जगह मच्छरों को,
यह कैद कर लेती है मुझे
तो इसका मतलब है
कि मैं साहित्य के अलंकारों से परिचित नहीं,
मैंने अन्योक्ति अलंकार का नाम नहीं सुना ।

मच्छरदानी नहीं लगाता
कि "दुश्मन को भी सीने से लगाना नहीं भूले" जैसी
पंक्ति का अनुसरण कर सकूँ
तो इसका मतलब है
कि मुझे समय का यह सच नहीं मालूम कि
सुनने सुनाने वाली यह पंक्तियाँ सच नहीं हुआ करतीं ।

मैं मच्छरदानी नहीं लगाता
कि मच्छर को आजादी दूँ
स्वतंत्र विचरण एवं स्वतंत्र अभिव्यक्ति का
कि उसे लगे कि वतमान में हर एक तक उसकी पहुँच है
तो इसका मतलब है
कि मैं रूढ़ सिद्धांतों का कोरा अनुवादी, मनुवादी नहीं
पक्का जनवादी हूँ ।
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